Friday 27 July 2012

आइएमएस में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन

इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज(आईएमएम) में शुक्रवार को दो दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्म में नोएडा एनसीआर के शिक्षकों के अलावा देश के अन्य राज्यों से आए लगभग 70 शिक्षकों ने भी शिरकत की। इस कार्यक्रम का आयोजन देश विदेश में अपने अनुभव बांट चुके ट्रेनर और कंसल्टेंट डा. विकास कुमार की अध्यक्षता में की गई। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथी ने दीप प्रज्वलत कर किया।
      डा.विकास ने कहा कि रिसर्च को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए सूचना संग्रह करना सबसे महत्पूर्ण कार्य है। सूचना संग्रह करने में तीन विकल्प हैं, जिसमें साक्षात्कार (इन्टर्व्यू), पूछताछ (कोश्चन) और नमूना (सैम्पलिंग) महत्वपूर्ण चरण हैं। एक फैकल्टी के प्रशनों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि रिसर्च को प्रभावशाली बनाने के लिए कम से कम सौ नमूनों की जरूरत पड़ती है, किंतु नमूनो की अधिकतम संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि रिसर्च किस स्तर पर किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने शिक्षकों को एसपीएसएस साफ्टवेयर एवं अनोवा वन-वे, टू-वे सहित तथ्य विशलेषण के बारे में भी बताया।
      कार्यक्रम की शुरूआत में देश के विभिन्न हिस्सों से आए शिक्षकों का स्वागत करते हुए आइएमएस के सलाहकार आलोक अग्रवाल ने एफडीपी की महत्ता को बताया। उन्होंने बताया कि आज के आधुनिक युग में शिक्षकों को भी हर रूप में अपडेट होना जरूरी है। जिसके लिए हर संस्थान को समय समय पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन करते रहना चाहिए।
      आइएमएस के निदेशक डा. ए के श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षक एक अच्छे समाज के निर्माता होते हैं। यदि वह समय-समय पर अपने आप को अपडेट नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ी एवं हमारा समाज की शिक्षा गुणवत्ता की दृष्टि से पिछड़ जाएगा, जिसका परिणाम वेहद घातक सिद्ध होगा। अतः आवश्यक है कि देश और समाज के विकास के लिए हम खुद को पूर्ण रूप से तैयार रखें।
      इस कार्यक्रम में आईएमएस के कार्यकारी निदेशक डा. ए के श्रीवास्तव , सलाहकार आलोक अग्रवाल, के साथ पीजीडीएम के एचओडी डा. पी के अग्रवाल भी शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन डा. मंजू गुप्ता के दिशानिर्देश में किया गया।

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